क्यों ये सितम सा है,,, कहीं कुछ खतम सा है...... ख्वाबों से ही दूर मैं,,, क्यों ये जुलम सा है...... हक़ीक़त के फ़साने,,, ज़िन्दगी के बहाने,,, क्यों ये सुकूँ में जलन,,, क्यों सब वहम सा है.... क्यों नहीं आंख थकती,, क्यों नहीं बात थमती,,, अश्कों से इश्क़ क्यों,,, क्यों दर्द मरहम सा है.... क्यों ये सितम सा है,,, कहीं कुछ खतम सा है !!!!!