Posts

सच

 एक मेरा सच  एक तेरा सच और एक हमारा झूठ,,,, जो एक सच है......

अलविदा

 जब तुम जाओ,,, अलविदा कहके जाना,,, अपनी आंखों से,,,, मेरी आँखों को.....

ज़िन्दगी और अश्क

 ए ज़िन्दगी  क्यों तू,,, उलझी रही,,, उन अश्कों के दरमियां जो आंख से छलके भी,,, और निकले भी नहीं......

दर्द

 क्यों ये सितम सा है,,, कहीं कुछ खतम सा है...... ख्वाबों से ही दूर मैं,,, क्यों ये जुलम सा है...... हक़ीक़त के फ़साने,,, ज़िन्दगी के बहाने,,, क्यों ये सुकूँ में जलन,,, क्यों सब वहम सा है.... क्यों नहीं आंख थकती,, क्यों नहीं बात थमती,,, अश्कों से इश्क़ क्यों,,, क्यों दर्द मरहम सा है.... क्यों ये सितम सा है,,, कहीं कुछ खतम सा है !!!!!

आरंभ और अंत

 कुछ आरंभ सीधे अंत के लिए नहीं होते.....वो कई तंग टेढ़ी मेढ़ी गलियों से गुजरकर रुक जाते हैं कहीं मध्य में.......और उस मध्य से होकर जाते हैं कि कई रास्तेअन्त की ओर......अब आपको पहचानना होता है वो रास्ता जो उस आरम्भ को उसके अंत तक या किसी और अंत तक या अनंत तक ले जा सके........बस यही भक्ति है ज्ञान है कर्म है.......जैसे भक्ति के कई रूप हैं.......आत्म भक्ति अनात्म भक्ति या परमात्म भक्ति.....वैसे ही जीवन के कई मार्ग हैं,,,आरम्भ कुछ भी हो परन्तु आपका अंत या अनन्त इन्ही पर निर्भर है….....

प्रेम

 प्रेम कभी नहीं माँग पाता वो सब ,,,जो वो चाहता है,,,,शायद चाहत की कोई जगह ही नहीं होती प्रेम में.....हाँ मगर एक उम्मीद रहती कि वो जो चाहे उसे उसकी चाहत से पहले ही प्रेम द्वारा पहचान लिया जाए.....पर  ये चाहना भी प्रेम की परिधि में नहीं आता.....जब तक आप पूरी तरह समर्पित नहीं होते प्रेम के लिए,,,,आप प्रेम नहीं कर सकते,,,,प्रेम विरक्ति में मुक्ति है.......और विरक्त होना अनुरक्त होना कतई नहीं है......हम सब अनुरक्ति को प्रेम मानते हैं जो बेहद सांसारिक वस्तु है संसार की तरह ही नश्वर.....जो आज है कल नहीं होगी......जबकि प्रेम अनन्त अक्षर शाश्वत है........

सच का सफर

 हम सब चारों ओर ऐसे बनावटी उजालों से घिरे हैं,,,,,जिनकी चकाचौंध में हम न अंधेरे को जान पाते हैं न उजालों को देख पाते हैं......तभी तो बहुत जरूरी है जानना आंखों के पीछे का सच.......जो कितना भी धुंधला अनचाहा डरावना क्यों न हो......मगर वो जो रोशनी लिए होगा...... उसे जीवन के किसी कृत्रिम उजाले से नहीं भरा जा सकता.........बस एक कतरा ही काफी है जगमगाने के लिए......झूठ से सच की ओर अंधेरों से उजाले की ओर ले जाने के लिए.......